EPS क्या होता है ?

EPS क्या होता है ?

नमस्कार दोस्तों, Bazaareducation में आपका स्वागत है। आज हम इस Article में EPS क्या होता है ? इस बारे में Complete Details में जानने वाले हैं।

जैसे कि ;- 1. EPS का Full Form क्या होता है ?

2. EPS क्या होता है ?

3. EPS हम कैसे Calculate कर सकते हैं ?

4. EPS कितने Types का होता हैं ?

5. Diluted EPS क्या होता है ?

6. EPS से हमें किसी भी कंपनी के बारे में क्या पता चलता है ?

7. EPS और PE Ratio में क्या संबंध होता है ?

8. हम कैसे किसी भी कंपनी का EPS चेक कर सकते हैं ?

1. EPS का Full Form क्या होता है ?

EPS का Full Form होता है (Earning Per Share / प्रति शेयर कमाई)

2. EPS क्या होता है ?

दोस्तों जैसा की नाम से ही पता चल रहा है EPS मतलब की (Earning Per Share / प्रति शेयर कमाई) जिसमें E का मतलब एक कम्पनी की एक साल की Financial Earnings से होता है और PS का मतलब उस कम्पनी के एक शेयर्स से होता है |

अगर मैं आपको आसान शब्दों में बताऊँ कि EPS क्या होता है तो इसे हम ऐसे कह सकते है कि जितना एक कम्पनी अपने एक शेयर पर एक Financial Year में Profit (लाभ) कमाती है उसे हम उस कम्पनी का EPS कहते है | 

मतलब कि EPS से हमें पता चलता है कि एक कम्पनी अपने Shareholders को उनके खरीदे गये प्रत्येक शेयर पर अपने एक Financial Year में कितना Profit (लाभ) कमा कर दे रही है, उदाहरण के लिए अगर किसी कम्पनी का EPS 25 रूपये है तो उसका मतलब होता है कि वो कम्पनी अपने Shareholders को उनके खरीदे गये प्रत्येक शेयर पर अपने एक Financial Year में 25 रूपये कमा कर दे रही है |

अगर मैं आपको दूसरे शब्दों में बताऊँ कि EPS क्या होता है तो इसे हम ऐसे कह सकते है कि एक कम्पनी अपने एक Financial Year में जितना Profit (लाभ) कमाती है अगर हम उस Profit को उस कम्पनी के सभी Shareholders में बाँट दे तो उस कम्पनी के सभी Shareholders को उनके ख़रीदे गये प्रत्येक शेयर पर कितना प्रॉफिट होगा यह जानकारी हमें उस कम्पनी के EPS से पता चलती है |

“दोस्तों Shareholders का मतलब उन लोगो से होता है जिन्होंने उस कम्पनी के शेयर्स को खरीद कर रखा हो उन्हें हम उस कम्पनी का Shareholder कहते है |”

दोस्तों Shareholders एक कम्पनी में Part Owners होते है मतलब की एक कम्पनी में हिस्सेदार होते है इसलिए कम्पनीज जो भी Profit कमाती है उस पर उनका क़ानूनी तौर पर हक़ होता है |

लेकिन कम्पनीज अपने Profits का कुछ प्रतिशत हिस्सा ही अपने Shareholders में Dividend के रूप में बांटती है और बाकि का सारा पैसा अपने Business में Reinvest करना पसंद करती है ताकि कम्पनीज अपने Business को ओर ज्यादा Grow कर सके और आने वाले Future में अपने Shareholders को उनकी की गई Investment पर ओर ज्यादा पैसा कमा कर दे सके |

दोस्तों मैं आपको बता दू की EPS (Earning Per Share / प्रति शेयर कमाई) एक कम्पनी की Earnings Power को बताता है इसलिए ज्यादातर Investors अक्सर High EPS वाली कम्पनीज में Invest करना पसंद करते है |    

3. EPS हम कैसे Calculate कर सकते हैं ?

दोस्तों किसी भी कम्पनी का EPS (Earning Per Share / प्रति शेयर कमाई) Calculate करने के लिए हमें सबसे पहले उस कम्पनी के Net Profit में से उस कम्पनी द्वारा अपने Preferred Shareholders को दिए गये Dividends को घटाना होता है और बाद में उसको उस कम्पनी के Total Number Of Outstanding Common Shares से Divide करना होता है |

आगे बढ़ने से पहले मैं आपको शॉर्ट में बता देता हूँ की Preferred और Common Shares क्या होते है ? 

दोस्तों Common Shares वो होते है जिन्हें कम्पनियाँ IPO में जारी (Issue) करती है और उनके बदले में आम जनता से Public से पैसे Raise करती है और बाद में उन शेयर्स की Exchange व Broker के Through Market में Trading की जाती है जबकि दोस्तों Preferred Shares कम्पनी IPO में जारी नहीं करती है वो शेयर्स कम्पनी अपने कुछ खाश व चुनिंदा Investors को अलग से देती है इसलिए इन शेयर्स को Preferred Shares और इन शेयर्स पर दिये जाने वाले Dividends को Preferred Dividends कहते है | 

आगे आने वाले Article में हम Common और Preferred Shares के बारे में Details में जानेंगे |

तो अभी हम एक Example के माध्यम से समझते है कि हम कैसे किसी भी कम्पनी का EPS Calculate कर सकते है ?

तो मान लेते है की एक ABC Limited नाम की कम्पनी है जिसके एक Financial Year का Net Profit 100 करोड़ रुपयों का है |

और उस कम्पनी ने अपने Preferred Shareholders को उस साल 7 करोड़ रुपयों का Dividend दिया है  |

और मान लेते है कि उस कम्पनी के Total Number Of Outstanding Common Shares की संख्या 5 करोड़ है |

तो उस ABC Limited कम्पनी का EPS (Earning Per Share / प्रति शेयर कमाई) होगा |

EPS = (Net Profit – Preferred Dividends) / Total Number Of Outstanding Common Shares

(100 करोड़ – 7 करोड़) / 5 करोड़ = 18.6 रूपये 

तो ABC Limited कम्पनी का EPS होगा 18.6 रूपये |

दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि प्रत्येक कम्पनी पर यह Obligation (बाध्यता) नहीं होता कि उसे अपने Preferred Shareholders को Dividend देना ही होगा |

क्योंकि बहुत सारी कम्पनीज के Preferred Dividends नहीं होते है तो ऐसी Situation में अगर हमें किसी कम्पनी का EPS निकालना हो तो हम Simply उस कम्पनी के Net Profit को उस कम्पनी के Total Number Of Outstanding Common Shares से Divide करके निकाल सकते है |

चलिए इसे ऊपर दिए गये Example के माध्यम से समझते है |

जैसा कि हमने ऊपर Example में ABC Limited कम्पनी कि बात की जिसके एक Financial Year का Net Profit 100 करोड़ रुपयों का है और उसके Total Number Of Outstanding Common Shares की संख्या 5 करोड़ है तो दोस्तों बिना Preferred Dividends Pay किये उस कम्पनी का EPS होगा |

EPS = Net Profit / Total Number Of Outstanding Common Shares

100 करोड़ / 5 करोड़ = 20 रूपये |

तो ABC Limited कम्पनी का बिना Preferred Dividends Pay किये EPS होगा 20 रूपये |

जिसका मतलब होता है कि ABC Limited कम्पनी अपने Shareholders को उनके खरीदे गये प्रत्येक शेयर पर एक साल में 20 रूपये कमा कर दे रही है |

4. EPS कितने Types का होता हैं ?

दोस्तों EPS (Earning Per Share / प्रति शेयर कमाई) को तीन Types में बांटा गया है |

  1. Past EPS
  2. Trailing EPS
  3. Forward EPS

Past EPS

Past EPS का मतलब होता है कि जो एक कम्पनी के Last Financial Year कि Earnings के Data के आधार पर Calculate किया जाता है, उसे हम उस कम्पनी का Past EPS कहते है |

“दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि Government, Companies, Businessman और एक Taxpayer के लिए एक New Year कि शुरुआत 1 April से होती है जो 31 March को खत्म हो जाती है जिसे हम एक Financial Year कहते है जबकि Normally हम सब के लिए एक New Year कि शुरुआत 1 January को होती है जो की 31 December को खत्म हो जाती है |” 

चलिए इसे एक Example के माध्यम से समझते है |

मान लेते है कि एक XYZ Limited नाम की कम्पनी है जिसने 1 अप्रैल 2021 से लेकर 31 मार्च 2022 तक 10 करोड़ रुपयों का Profit कमाया है और आज Date है 1 सितम्बर 2022 तो अब अगर हमें उस कम्पनी का Past EPS Calculate करना हो तो हम सबसे पहले उस कम्पनी के Last Financial Year के Net Profit से अगर उस कम्पनी ने अपने Preferred Shareholders को Dividend दिया है तो उसे घटाएंगे फिर उसको उस कम्पनी के Total Number Of Outstanding Common Shares से Divide करेंगे याद रखे कि हम इस Calculations में उस कम्पनी के Last 5 Months का Profit नहीं जोड़ रहे है अप्रैल से लेकर सितम्बर के बिच तक का |

तो XYZ Limited कम्पनी का Last Financial Year का Net Profit है 10 करोड़ रूपये |

और मान लेते है कि XYZ Limited कम्पनी ने अपने Preferred Shareholders को Dividend दिया है 50 लाख रुपयों का |

और XYZ Limited कम्पनी के Total Number Of Outstanding Common Shares की संख्या है 1 करोड़ |

तो XYZ Limited कम्पनी का Past EPS होगा |

EPS = (Last Financial Year Net Profit – Preferred Dividends) / Total Number Of Outstanding Common Shares

(10 करोड़ – 50 लाख) / 1 करोड़

9.5 करोड़  / 1 करोड़ = 9.5 रूपये

तो XYZ Limited कम्पनी का Past EPS होगा 9.5 रूपये |

Trailing EPS

Trailing EPS का मतलब होता है कि जो एक कम्पनी के Last 12 Months कि Earnings के Data के आधार पर Calculate किया जाता है उसे हम उस कम्पनी का Trailing EPS कहते है जिसे हम शार्ट में TTM ( Trailing Twelve Months EPS) भी कहते है |

चलिए इसे ऊपर दिए गये Example के माध्यम से समझने की कोशिश करते है |

तो जैसा की हमने ऊपर बात की XYZ Limited कम्पनी के Last Financial Year का Net Profit था 10 करोड़ रूपये का जिसमें हमनें उस कम्पनी के Last 5 Months के Profits को Add नहीं किया था |

और उस कम्पनी ने अपने Preferred Shareholders को Dividend दिया है 50 लाख रुपयों का |

और XYZ Limited कम्पनी के Total Number Of Outstanding Common Shares की संख्या थी 1 करोड़ |

तो XYZ Limited कम्पनी का Trailing EPS निकालने के लिए हम XYZ Limited कम्पनी के Last Financial Year के शुरुआती 5 Months के Profits को छोड़ देंगे और उसमें उस कम्पनी के Last 5 Months के Profits को Add कर देंगे |

तो मान लेते है कि XYZ Limited कम्पनी ने 1 अप्रैल 2021 से लेकर 31 अगस्त 2021 तक 2 करोड़ रुपयों का Profits कमाया था और Last 5 Months में मतलब की  1 अप्रैल 2022 से लेकर 31 अगस्त 2022 तक XYZ Limited कम्पनी ने 7 करोड़ रुपयों का Profit कमाया था |

तो XYZ Limited कम्पनी के Last 12 Months का Net Profit होगा |

10 करोड़ – 2 करोड़ + 7 करोड़ = 15 करोड़ रूपये |

और दोस्तों मान लेते है कि उस कम्पनी का Last 12 Months का Preferred Dividends 50 लाख से बढ़ कर 80 लाख रूपये हो गया है |

तो XYZ Limited कम्पनी का Trailing EPS होगा |

EPS = (Last 12 Months Net Profit – Preferred Dividends) / Total Number Of Outstanding Common Shares

(15 करोड़ – 80 लाख) / 1 करोड़ = 14.2 रूपये |

तो XYZ Limited कम्पनी का Trailing EPS होगा 14.2 रूपये |

Forward EPS

Forward EPS का मतलब होता है कि जो एक कम्पनी के Future Year कि Earnings और उस कम्पनी की Growth का एक Estimate (अनुमान) लगा कर Calculate किया जाता हो उसे हम उस कम्पनी का Forward EPS कहते है |

चलिए इसे ऊपर दिए गये Example के माध्यम से समझने की कोशिश करते है |

मान लेते है कि हमे लगता है आने वाले Financial Year में XYZ Limited कम्पनी की Earnings Dubble होने वाली है मतलब की 15 करोड़ से 30 करोड़ रूपये होने वाली है |

और कम्पनी के Last Financial Year के Preferred Dividends के आधार पर हम Estimate (अनुमान) लगाते है कि आने वाले Financial Year में XYZ Limited कम्पनी अपने Preferred Shareholders को 1 करोड़ रुपयों का Dividend देने वाली है |

और मान लेते है कि आने वाले Financial Year में भी XYZ Limited कम्पनी के Total Number Of Outstanding Common Shares की सख्या 1 करोड़ ही रहने वाली है |

तो XYZ Limited कम्पनी का Forward EPS होगा |

EPS = (Next Financial Year Estimate Net Profit – Preferred Dividends) / Total Number Of Outstanding Common Shares

(30 करोड़ – 1 करोड़) / 1 करोड़ = 29 रूपये

तो XYZ Limited कम्पनी का Forward EPS होगा 29 रूपये |

तो इस तरह हम किसी भी कम्पनी का Past, Trailing और Forward EPS Calculate कर सकते है |

दोस्तों कम्पनी का Forward EPS कम्पनी की Earnings का Estimate (अनुमान) लगाकर Calculate किया जाता है तो जरूरी नहीं है कि वो सही ही हो |

5. Diluted EPS क्या होता है ?

Diluted EPS का मतलब होता है कि जो एक कम्पनी के Total Number Of Outstanding Common Shares के साथ साथ उस कम्पनी के सभी Convertible Securities को Add कर के निकाला जाता हो उसे हम उस कम्पनी का Diluted EPS कहते है |

क्योंकि लगभग सभी कम्पनीज अपने Employees को ESOPS (Employee Stock Ownership Plan) Issue करती है मतलब की लगभग प्रत्येक कम्पनी अपने Employees को शेयर्स खरीदने का एक Option देती है जिसमें Employees उस कम्पनी के शेयर्स Market से कम प्राइस पर खरीद सकते है (Maybe In Limited Numbers) और फिर Market में उनको ज्यादा प्राइस पर बेच सकते है जिससे उस कम्पनी के Total Number Of Outstanding Common shares की संख्या बढ़ सकती है और उस कम्पनी का EPS (Earning Per Share / प्रति शेयर कमाई) कम हो सकता है और ठीक इसी प्रकार सभी कम्पनीज अपने कुछ खाश और बड़े Investors को Warrants और Convertible Securities Issue करती है जिनको भी आसानी से Common Shares में Convert किया जा सकता है जिससे उस कम्पनी के Common Shares की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ सकती है और उस कम्पनी का EPS बहुत ज्यादा कम हो सकता है इसलिए ज्यादातर Investors कम्पनी के Normal EPS के साथ साथ उस कम्पनी के Diluted EPS को भी देखना पसंद करते है |

एक कम्पनी के Diluted EPS से Investors को यह पता चलता है कि अगर उस कम्पनी के सभी Convertible Shares Market में आ जाये, जो की अभी नहीं है तो उस कम्पनी का EPS उस कम्पनी के Current EPS से कितना कम होगा |

चलिए इसे ऊपर दिए गये XYZ Limited कम्पनी के Example के माध्यम से समझने की कोशिश करते है |

जैसा कि हमने ऊपर बात की XYZ Limited कम्पनी का Last 12 Months का Net Profit था 15 करोड़ रूपये |

और उस कम्पनी ने अपने Preferred Shareholders को Dividend दिया था 80 लाख रुपयों का |

और XYZ Limited कम्पनी के Total Number Of Outstanding Common Shares कि संख्या थी 1 करोड़ |

तो अब मान लेते है कि XYZ Limited कम्पनी के Total Number Of Convertible Securities कि संख्या है 20 लाख |

तो XYZ Limited कम्पनी का Diluted EPS होगा |

EPS = (Last Last 12 Months Net Profit – Preferred Dividends) / (Total Number Of Outstanding Common shares + Total Number Of Convertible Securities)

(15 करोड़ – 80 लाख) / (1 करोड़ + 20 लाख)

14,20,000,00 / 1,20,00,000 = 11.83 रूपये

तो XYZ Limited कम्पनी का Diluted EPS होगा 11.83 रूपये जो कि XYZ Limited कम्पनी के Normal EPS से 2.37 रूपये कम है |

6. EPS से हमें किसी भी कंपनी के बारे में क्या पता चलता है ?

  1. EPS से हमें पता चलता है कि एक कम्पनी अपने Shareholders को उनके खरीदे गये प्रत्येक शेयर पर अपने एक Financial Year में कितना Profit (लाभ) कमा कर दे रही है |
  2. EPS एक कम्पनी कि Earnings Power हमें बताता है मतलब की एक कम्पनी का EPS जितना ज्यादा होगा उस कम्पनी कि Earnings भी उतना ही ज्यादा होगी |
  3. Stock Market में जो Investors Dividends के Through एक Regular Income पाना चाहते है उन्हें एक कम्पनी के EPS से यह पता चलता है कि वो कम्पनी उन्हें ओर कितना ज्यादा Dividends दे सकती है मतलब कि अगर एक कम्पनी साल में अपने Investors को उनकी Investments पर 10 से 12 रूपये का Dividends दे रही है तो EPS से उन Investors को यह पता लग सकता है कि वो कम्पनी उनकी Investment पर ओर कितना ज्यादा Dividends दे सकती है |

7. EPS और PE Ratio में क्या संबंध होता है ?

दोस्तों किसी भी कम्पनी का PE Ratio Calculate करने के लिए हमें उस कम्पनी के EPS की जरूरत होती है जिसकी Help से हम यह जान सकते है कि Market में एक कम्पनी की शेयर प्राइस अपने EPS से कितनी ज्यादा व कितनी कम प्राइस पर ट्रेड कर रही है मतलब कि अगर किसी कम्पनी का PE Ratio (Price to Earnings Ratio / कमाई का मूल्य) 10 है तो उसका मतलब होता है कि उस कम्पनी कि शेयर प्राइस Market में अपनी Earnings से 10 गुना कीमत पर में ट्रेड कर रही है |

दोस्तों अगर आप PE Ratio के बारे में Details में जानना चाहते है तो इसके लिए आप हमारा PE Ratio पर लिखा हुआ Article पढ़ सकते है |

8. हम कैसे किसी भी कंपनी का EPS चेक कर सकते हैं ?

दोस्तों हम Investing.com, Moneycontrol.com और Ticker – Finology जैसी Website पर जाकर किसी भी कम्पनी का EPS चेक कर सकते है निचे Ticker – Finology Website पर जाकर हम कैसे किसी भी कम्पनी का EPS चेक कर सकते है वो Details में बताया गया है |

इसके लिए आपको बस Google पर जाकर Ticker – Finology Search करना है और उस Site को Open करना है |

EPS क्या होता है ?

Ticker – Finology Site Open करने के बाद आपको यहां पर जिस भी कम्पनी का EPS चेक करना हो आपको यहाँ पर उसका नाम डालना है और उसे search करना है |

EPS क्या होता है ?

दोस्तों कम्पनी का नाम Search करने के बाद आप यहाँ पर “Company Essentials” में उस कम्पनी का EPS देख सकते है |

EPS क्या होता है ?

Important Points

  • EPS एक कम्पनी की Earnings Power हमें बताता है कि एक कम्पनी अपने एक Financial Year में अपने प्रत्येक शेयर पर कितना पैसा कमा रही है |
  • TTM का मतलब एक कम्पनी के Last 12 Months के EPS से होता है |
  • किसी भी कम्पनी का एक दो साल का EPS हमें उस कम्पनी के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं देता इसलिए हमें हमेशा एक कम्पनी के पांच छः साल के EPS को देखना चाहिए कि वो किस तरह से बढ़ रहा है |  
  • हम एक कम्पनी में केवल उसके EPS को देख कर Investment नहीं कर सकते उसके साथ साथ हमें उस कम्पनी के और भी बहुत सारे Factors को देखना होता है |
  • अगर किसी कम्पनी का EPS लगातार पांच छः सालो से बढ़ रहा है तो यह Investing के लिहाज से एक अच्छा Signal होता है लेकिन इसके साथ साथ हमें यह भी चेक करना चाहिए कि उस कम्पनी का EPS किन Reasons के कारण लगातार बढ़ रहा है उसके पीछे क्या कारण है क्या कम्पनी ने Last कुछ सालो में अपने Business में कुछ Changes किये है ? जिस वजह से उस कम्पनी का Profit और EPS बढ़ रहा है |
  • दोस्तों कई बार कम्पनीज अपने Business को चलाने के लिए या उसे ओर ज्यादा Grow करने के लिए बहुत ज्यादा Loan ले लेती है जिसके कारण भी उन कम्पनीज का Profit और EPS बढ़ सकता है इसलिए हमें कम्पनी के EPS के साथ साथ उन कम्पनी पर कर्ज कितना है वो भी जरूर देखना चाहिए अगर किसी कम्पनी पर कर्ज एक Limit तक है तब ठीक है क्योंकि ज्यादातर कम्पनीज को अपना Business चलाने या Grow करने के लिए Loan की जरूरत होती है लेकिन अगर किसी कम्पनी ने बहुत ज्यादा Loan ले रखा है तो हमें ऐसी कम्पनीज में Invest करने से बचना चाहिए, चाहे उन कम्पनीज का EPS कितना ही ज्यादा क्यों ना हो क्योंकि ऐसी कम्पनीज हमारे लिए आगे चल कर Problem Create कर सकती है |
  • एक कम्पनी के EPS का उस कम्पनी के Outstanding Common shares से एक Inverse Relation होता है मतलब की जब एक कम्पनी के Outstanding Common shares की संख्या बढ़ती है तब उस कम्पनी का EPS घटता है और जब एक कम्पनी के Outstanding Common shares की संख्या घटती है तब उस कम्पनी का EPS बढ़ता है जैसा की हम ने ऊपर Normal EPS और Diluted EPS के Case में देखा था |
  • जब कोई कम्पनी अपने शेयर्स को Buyback करती है तब उसका EPS बढ़ जाता है |

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So I Hope कि आपको समझ में आ गया होगा कि EPS क्या होता है ? तो आपको EPS पर हमारा ये Article कैसा लगा निचे comments कर के जरूर बताइयेगा  || 

धन्यवाद ||

 

 

 

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