नमस्कार दोस्तों, Bazaareducation में आपका स्वागत है। आज हम इस Article में Option Contract क्या होता है ? इस बारे में Complete Details में जानने वाले हैं।
जैसे कि ;- 1. Option Contract क्या होता है ?
2. Option Contract कितने Types के होते हैं ?
3. Future और Option Contract में क्या Difference होता है ?
4. Option Market में हम कैसे Trade कर सकते हैं ?
1. Option Contract क्या होता है ?
Option Contract दो पार्टियों के बीच होने वाला एक Financial Contract होता है।
जिसमें दो पार्टियाँ Exchange के माध्यम से आपस में एक दूसरे के साथ Future Contract की तरह ही एक Fix Time Period के लिए और एक Fix Price पर किसी Commodity, Asset या किसी Security की एक Fix Quantity का सौदा या Contract करती है, उसे हम Option Contract कहते हैं।
लेकिन Option Contract में Buyer Party पर, यानि कि Assets और Securities को खरीदने वाली Party पर, Future Contract की तरह उन Assets, Commodities, या उन Securities को उस Fix Time Period के अंदर और उस Fix Price पर खरीदने के लिए कोई Obligation नहीं होता है, मतलब कि कोई बाध्यता नहीं होती है, जैसा कि Future Contract में होता है।
Future Contract में Buyer और Seller दोनों पार्टियों पर यह Obligation होता है, यह बाध्यता होती है कि उनको उस Fixed Time Period के अंदर और उस Fixed Price पर उन Assets, Commodities, या उन Securities को Buy और Sell करना ही होगा। क्योंकि Future Contract में दोनों पार्टियाँ अपने किए गए Contract से मुकर नहीं सकतीं हैं।
जबकि Option Contract में केवल Seller Party पर ही, मतलब कि Assets और Securities को बेचने वाली Party पर ही यह Obligation होता है, यह बाध्यता होती है कि अगर Buyer Party Contract के मुताबिक उन Assets, Commodities, या उन Securities को खरीदना चाहती है, तो Seller Party को उस Contract के मुताबिक उन Assets, Commodities, और उन Securities को बेचना ही पड़ेगा। क्योंकि Option Contract में केवल Seller Party पर ही यह Obligation होता है, यह बाध्यता होती है कि वह अपने किए गए Contract से मुकर नहीं सकती है। जबकि Buyer Party पर, मतलब कि Assets और Securities को खरीदने वाली Party पर कोई भी Obligation नहीं होता है, कोई भी बाध्यता नहीं होती है कि उसे उस Contract के मुताबिक उन Assets, Commodities, या उन Securities को खरीदना ही पड़ेगा।
दोस्तों, Option Contract में Buyer Party के पास यह Rights होता है कि अगर वह सामने वाली Party से उस Contract के मुताबिक उस Fix Time Period के अंदर और उस Fix Price पर उन Assets, Commodities, या उन Securities को खरीदना चाहती है, तो वह उन्हें खरीद सकती है। और अगर वह सामने वाली Party से उस Fix Time Period के अंदर और उस Fix Price पर उन Assets, Commodities, या उन Securities को नहीं खरीदना चाहती है, तो वह उस Contract को Cancel भी कर सकती है। क्योंकि दोस्तों, इन Rights के लिए Buyer Party Seller Party को Contract के शुरुआत में एक कीमत अदा करती है, जिसे Option Contract में हम Premium Amount कहते हैं, जो कि Contract के पूरा होने या Cancel होने के बाद, दोनों Situations में Seller Party के पास ही रहती है।
चलिए, इसे हम एक Example के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं कि “Option Contract” क्या होता है ?
मान लेते हैं कि एक ABC Limited नाम की कंपनी है जिसके शेयर की Current में Market Price 500 रुपये चल रही है।
अब मान लेते हैं कि कोई गोविंद नाम का एक ट्रेडर है, जिसे उस कंपनी के Fundamentals, Chart History, और Market के Sentiment को देखकर लगता है कि आगे आने वाले दो महीनों में इस ABC Limited कंपनी के शेयर की Price 500 रूपये से बढ़कर 550 रूपये तक पहुंच सकती है। इसलिए, वह उस कंपनी के 7,000 शेयर्स खरीदने के बारे में सोचता है, लेकिन, वह अभी उन 7,000 शेयर्स को नहीं खरीदना चाहता है। वह चाहता है कि दो महीनों बाद ही कोई उसे इस कंपनी के 7,000 शेयर्स 500 रुपये की कीमत में ही उपलब्ध करा दे। और वह उन 7,000 शेयर्स को 550 रुपये की कीमत में बेचकर Profit कमा ले।
दोस्तों, अब मान लेते हैं कि कोई विनोद नाम का एक ट्रेडर है, जिसे उसी कंपनी के Fundamentals, Chart History, और Market के Sentiment को देखकर लगता है कि इस कंपनी के शेयर की कीमत अब 500 रुपये से और ज्यादा नहीं बढ़ने वाली है। उसे लगता है कि आगे आने वाले समय में इस कंपनी के शेयर की कीमत 500 रुपये से घटकर 470 रुपये हो जाएगी। इसलिए, विनोद उस कंपनी के 7,000 शेयर्स को Short करना चाहता है, मतलब कि विनोद उस कंपनी के 7,000 शेयर्स को 500 रुपये की कीमत में बेचना चाहता है।
दोस्तों, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि यहाँ पर गोविंद और विनोद दोनों को ही यह निश्चित पता नहीं है कि आगे आने वाले समय में उस कंपनी के शेयर की कीमत ऊपर जाएगी या नीचे आएगी। वो तो बस उस कंपनी के Fundamentals, Chart History, और Market के Sentiment को देखकर अपने-अपने Analysis के आधार पर उस कंपनी के शेयर की कीमत का एक अनुमान लगा रहे हैं, कि वह किस दिशा में जा सकती है।
तो दोस्तों, ऐसी Situation में, विनोद नाम का ट्रेडर गोविंद नाम के ट्रेडर से कहता है कि तुम दो महीनों बाद ABC Limited कंपनी के 7,000 शेयर्स 500 रूपये की Price में मुझसे खरीद लेना। चाहे उस समय उसके शेयर की कीमत कितनी भी हो, मैं तुम्हें दो महीनों बाद उस ABC Limited कंपनी के 7,000 शेयर्स 500 रुपये की कीमत में उपलब्ध करा दूंगा। इसके लिए गोविंद और विनोद नाम का ट्रेडर आपस में एक Contract (अनुबंध) साइन करते हैं, जिसमें उस Contract का Time Period, मतलब कि कितने दिनों के लिए वह Contract किया गया है, वो और शेयर्स की संख्या और शेयर की प्राइस लिखी होती है, जिस प्राइस पर वह Contract तय किया गया है।
दोस्तों, Contract साइन करते समय, Buyer Party को, मतलब कि गोविंद को एक Advance Payment विनोद को देनी होती है, मतलब कि सामने वाली Seller Party को देनी होती है, जिसको Option Contract में हम Premium Amount कहते हैं।
दोस्तों, वह Premium Amount कंपनी के शेयर की Current Market Price के हिसाब से कुछ भी हो सकती है।
मान लेते हैं कि गोविंद विनोद को 20,000 रुपये Premium Amount के तौर पर भुगतान करता है। जो कि अब विनोद के पास ही रहेंगे, मतलब कि Seller Party के पास ही रहेंगे, चाहे Contract पूरा हो या ना हो।
दोस्तों, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि “Premium Amount” Contract की Total Value से काटकर Seller Party को नहीं दी जाती है। यह केवल Contract को फिक्स करने के लिए Seller Party को अलग से दी जाती है।
दोस्तों, इस Contract में हमें आगे आने वाले दो महीनों में तीन Situations देखने को मिल सकती हैं।
पहली Situation तो यह हो सकती है कि आगे आने वाले दो महीनों के अंदर, ABC Limited कंपनी के शेयर की Price 500 रूपये से बढ़कर 550 रूपये हो जाएगी। तो इस स्थिति में, गोविंद Contract के मुताबिक, विनोद से ABC Limited कंपनी के 7,000 शेयर्स 500 रुपये की Price पर खरीद लेगा और उन्हें बाजार में 550 रुपये की कीमत में बेच देगा। जिससे गोविंद को 7,000 * 50 – 20,000 = 3,30,000 रुपये का फायदा होगा और विनोद को 3,30,000 रुपये का नुकसान होगा।
दूसरी Situation यह हो सकती है कि आगे आने वाले दो महीनों के अंदर, ABC Limited कंपनी के शेयर की Price ना तो 500 रूपये से ज्यादा बढ़ती है और ना ही कम होती है। तो इस स्थिति में, गोविंद Contract के मुताबिक, विनोद से ABC Limited कंपनी के 7,000 शेयर्स 500 रुपये की Price पर नहीं खरीदेगा। क्योंकि उसे इस Contract में 7,000 शेयर्स 500 रूपये की Price पर खरीदने में कोई फायदा नहीं हो रहा है। बल्कि उसे उन शेयर्स के लिए Premium Amount के तौर पर 20,000 रूपये ज्यादा देने पड़ रहे हैं। इसलिए वह इस Contract को Cancel कर देगा। जिससे गोविंद को इस Contract में केवल 20,000 रुपये का नुकसान होगा और विनोद को इस Contract में 20,000 रुपये का फायदा होगा।
और तीसरी Situation यह हो सकती है कि आगे आने वाले दो महीनों के अंदर, ABC Limited कंपनी के शेयर की Price 500 रूपये से घटकर 470 रुपये हो जाती है। तो इस स्थिति में, गोविंद Contract के मुताबिक, विनोद से ABC Limited कंपनी के 7,000 शेयर्स 500 रुपये की Price पर बिल्कुल भी नहीं खरीदेगा। क्योंकि उसे इस Contract में उन 7,000 शेयर्स के लिए 7,000 * 500 – 7,000 * 470 + 20,000 = 2,30,000 रुपये ज्यादा देने पड़ रहे हैं। जिसके कारण उसे इस Contract में कोई भी फायदा नहीं हो रहा है। इसलिए वह इस Contract को Cancel कर देगा। जिससे गोविंद को इस Contract में केवल 20,000 रुपये का नुकसान होगा। जो कि उसने Contract को फिक्स करते समय Premium Amount के तौर पर दिए थे। और विनोद को इस Contract में केवल 20,000 रुपये का फायदा होगा।
तो दोस्तों, इस तरह के Contract को ही हम Option Contract कहते हैं, जिसमें केवल Seller Party पर ही Contract को पूरा करने का Obligation होता है, बाध्यता होती है, जबकि Buyer Party पर कोई भी Obligation नहीं होता है, कोई भी बाध्यता नहीं होती है, उनके पास Rights होते हैं कि अगर उन्हें किसी Contract में फायदा नहीं हो रहा है, तो वो उस Contract को Cancel भी कर सकती है।
दोस्तों, यह केवल एक काल्पनिक Example है। मुझे उम्मीद है कि आपको इस Example के माध्यम से समझ में आ गया होगा कि “Option Contract” क्या होता है ?
2. Option Contract कितने Types के होते हैं ?
Option Contract दो Types के होते हैं।
1. Call Option
2. Put Option
1. Call Option
Call Option में हम Call तब Buy करते हैं जब हमारा View Market को लेकर Bullish होता है, मतलब कि जब हमें लगता है कि Market यहां से ऊपर जा सकता है तब हम Call Option Buy करते हैं। और जब हमारा View Market को लेकर Bearish होता है, मतलब कि जब हमें लगता है कि Market यहां से नीचे जा सकता है तब हम Call Option Sell करते हैं।
2. Put Option
Put Option में हम Put तब Buy करते हैं जब हमारा View Market को लेकर Bearish होता है, मतलब कि जब हमें लगता है कि Market यहां से नीचे जा सकता है तब हम Put Option Buy करते हैं। और जब हमारा View Market को लेकर Bullish होता है, मतलब कि जब हमें लगता है कि Market यहां से ऊपर जा सकता है तब हम Put Option Sell करते हैं।
दोस्तों, जो ट्रेडर्स Call Option और Put Option को Sell करते हैं, उन ट्रेडर्स पर Option Contract में Obligation होता है, बाध्यता होती है कि वो अपने किए गए Contract को Cancel नहीं कर सकते हैं, उससे मुकर नहीं सकते हैं। जबकि जो ट्रेडर्स Call Option और Put Option को Buy करते हैं, उन ट्रेडर्स पर Option Contract में कोई भी Obligation नहीं होता है, कोई भी बाध्यता नहीं होती है, वो चाहें तो उस Contract को Cancel भी कर सकते हैं।
Option Contract में Call और Put Sell करने वाले ट्रेडर्स को नुकसान Unlimited हो सकता है, लेकिन फायदा Limited होता है, जबकि Call और Put Option Buy करने वाले ट्रेडर्स को फायदा Unlimited हो सकता है, लेकिन नुकसान Limited होता है।
Option Contract में Contract Winning Ratio Option Sell करने वाली Party का ज्यादा होता है और Option Buy करने वाली Party का कम होता है। जैसा कि हमने ऊपर Example में देखा था। जिसमें दो Situations में Option Sell करने वाली Party को Profit हो रहा था और एक Situation में Option Buy करने वाली Party को Profit हो रहा था।
दोस्तों, ऊपर दिए गए Example में गोविंद एक “Call Option Buyer” है क्योंकि उसका View Market को लेकर Bullish होता है और विनोद एक “Call Option Seller” है क्योंकि उसका View Market को लेकर Bearish होता है।
3. Future और Option Contract में क्या Difference होता है ?
दोस्तों, वैसे तो “Future” और “Option Contract” दो पार्टियों के बीच होने वाला एक Financial Contract होता है। जिसमें दो पार्टियां एक Fix Time Period के लिए और एक Fix Price पर किसी Commodity, Asset या किसी Security की एक Fix Quantity का सौदा या Contract करती है। लेकिन फिर भी इनमें कुछ Differences होते हैं जो कि नीचे दिए गए हैं।
Future Contract में Buyer और Seller दोनों पार्टियों पर ही यह Obligation होता है, यह बाध्यता होती है कि वह अपने किए गए Contract को Cancel नहीं कर सकती हैं, उससे मुकर नहीं सकती हैं, चाहे उन्हें Loss हो या Profit हो, उन्हें वह Contract पूरा करना ही होगा। जबकि Option Contract में केवल Seller Party पर ही यह Obligation होता है, यह बाध्यता होती है कि वह अपने किए गए Contract को Cancel नहीं कर सकती है, उससे मुकर नहीं सकती है, चाहे उसे Loss हो या Profit हो, उसे वह Contract पूरा करना ही होगा। लेकिन Option Contract में Buyer Party पर कोई भी Obligation नहीं होता है, कोई भी बाध्यता नहीं होती है, उनके पास Rights होते हैं कि अगर उन्हें किसी Contract में Loss हो रहा है तो वह उस Contract को Cancel भी कर सकती है।
Future Contract में Buyer और Seller दोनों पार्टियों को Unlimited Profit भी हो सकता है और Unlimited Loss भी हो सकता है, जबकि Option Contract में केवल Seller Party को ही Unlimited Loss हो सकता है जिसके बदले में उसे Limited Profit होता है, और Option Contract में Buyer Party को Unlimited Profit हो सकता है जिसके बदले में उसे Limited Loss होता है।
Future Contract में हमें Contract को फिक्स करते समय एक Extra Amount सामने वाली Seller Party को Premium Amount के तौर पर नहीं देनी पड़ती है, जबकि Option Contract में हमें Contract को फिक्स करते समय एक Extra Amount सामने वाली Seller Party को Premium Amount के तौर पर देनी पड़ती है।
4. Option Market में हम कैसे Trade कर सकते हैं ?
Option Market में Trading करने के लिए आपके पास एक Demat और Trading Account होना जरूरी होता है, और उसमें भी F&O मतलब की Future And Option का Segment Active होना आवश्यक है। अगर आपके पास Demat और Trading Account है पर उसमें Future And Option का Segment Active नहीं है, तो आप Option And Future दोनों Market में Trading नहीं कर पाएंगे।
Future And Option का Segment Active करवाने के लिए आपको Income Proof की आवश्यकता होती है, जैसे कि पिछले 6 महीनों की आपकी बैंक स्टेटमेंट या फिर आपकी सैलरी स्लिप।
दोस्तों, आप किसी भी Discount Broker के पास अपनी कुछ Basic Information और Income Proof के माध्यम से अपना Demat और Trading Account Open करवा सकते हैं और उसमें आसानी से Future And Option का Segment Active भी कर सकते हैं। उसके बाद आप Future And Option दोनों Market में Trading कर पाएंगे।
नोट ;- Option Market में ट्रेडिंग करना काफी जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए, Option Market में ट्रेडिंग करने से पहले आपको Option Market को अच्छे से समझना चाहिए, उसके बारे में अच्छे से Analysis करना चाहिए, और अपने Risk और Capital को अच्छे से Manage करने के बाद ही आपको Option Market में ट्रेडिंग करनी चाहिए। नहीं तो आपको काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
Important Points
- Option Contract दो पार्टियों के बीच होने वाला एक Financial Contract होता है। जिसमें दो पार्टियाँ Exchange के माध्यम से आपस में एक दूसरे के साथ Future Contract की तरह ही एक Fix Time Period के लिए और एक Fix Price पर किसी Commodity, Asset या किसी Security की एक Fix Quantity का सौदा या Contract करती है, उसे हम Option Contract कहते हैं।
- Option Contract दो प्रकार के होते हैं, जैसे कि Call Option और Put Option आदि।
- Call Option में हम Call तब Buy करते हैं जब हमारा View Market को लेकर Bullish होता है, मतलब कि जब हमें लगता है कि Market यहां से ऊपर जा सकता है तब हम Call Option Buy करते हैं।
- और जब हमारा View Market को लेकर Bearish होता है, मतलब कि जब हमें लगता है कि Market यहां से नीचे जा सकता है तब हम Call Option Sell करते हैं।
- Put Option में हम Put तब Buy करते हैं जब हमारा View Market को लेकर Bearish होता है, मतलब कि जब हमें लगता है कि Market यहां से नीचे जा सकता है तब हम Put Option Buy करते हैं।
- और जब हमारा View Market को लेकर Bullish होता है, मतलब कि जब हमें लगता है कि Market यहां से ऊपर जा सकता है तब हम Put Option Sell करते हैं।
- Future Contract में Buyer और Seller दोनों पार्टियों पर Contract को पूरा करने की बाध्यता होती है, जबकि Option Contract में केवल Seller Party पर ही Contract को पूरा करने की बाध्यता होती है।
- Option Contract Exchange-Traded Derivative Contract होते हैं, यानी कि इन्हें Exchange के माध्यम से ट्रेड किया जाता है।
- Option Contract में, Contract का जो मूल्य होता है, वह Buyer Party द्वारा Seller Party को Premium Amount के रूप में दिया जाता है।
- Investors अपने Portfolio को Hedge करने के लिए Option Contract का उपयोग करते हैं। मतलब कि दोस्तों, निवेशक अपने निवेश को जोखिम से बचाने के लिए Option Contract का उपयोग करते हैं।
- Option Contract को एक Fix Time Period के लिए किया जाता है, जैसे कि सामान्यत: एक महीने के लिए, दो महीने के लिए, और तीन महीने के लिए। इससे ज्यादा Time Period के लिए हम Option Contract को नहीं कर सकते हैं।
- Option Trading एक अत्यधिक जोखिम वाला व्यापार होता है, इसलिए, Option Market में हमें तभी ट्रेड करना चाहिए जब हम इसके बारे में सब कुछ अच्छे से जानते हों, नहीं तो हमें इसमें काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
- Option Contract में, Contract की जो Premium Value तय की जाती है वह Contract के Time Period, Contract के Asset, Commodity, या Security की Strike Price, Contract के Underlying Asset की Current Market Value, और Market Conditions के आधार पर तय की जाती है।
- Option Chain एक तालिका (Table) होती है जो किसी Stock, Commodity, Currency, Security, और Index के सभी Contracts की जानकारी को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने का काम करती है। जिसके माध्यम से ट्रेडर्स को बाजार की स्थिति का आकलन करने में मदद मिलती है।
- Option Contract का उपयोग कई कार्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि Portfolio को Hedge करने के लिए, Portfolio को Diversify करने के लिए, और Speculation करने के लिए।
- Option Contract में, हम सौदे का Settlement Daily Basis पर भी कर सकते हैं, लेकिन सौदे का अंतिम Settlement महीने के अंतिम गुरुवार को होता है। और यदि महीने के अंतिम गुरुवार को कोई छुट्टी है, तो यह Settlement उससे एक दिन पहले या उसके एक दिन बाद में भी किया जा सकता है।
NOTE;- अगर आपके पास अभी तक Demat और Trading Account नहीं है, तो आप निचे दिए गए Link पर Click करके भारत के प्रमुख Discount Broker के पास अपना Demat और Trading Account खोल सकते हैं और Stock Market में Invest कर सकते हैं।
So I Hope कि आपको समझ में आ गया होगा कि Option Contract क्या होता है ? तो आपको Option Contract पर हमारा यह Article कैसा लगा, निचे Comments करके जरूर बताइयेगा।
धन्यवाद ।। ”